See Profile of Anupama Pathak: http://www.blogger.com/profile/09963916203008376590
Friday, December 23, 2011
एक संभावित तस्वीर ..
प्रस्तुतकर्ता अनुपमा पाठक at ६ दिसम्बर २०१०
एक संभावित तस्वीर!
नये विचारों का
प्रादुर्भाव हो!
सहज सा
सुन्दर जुड़ाव हो!!
फिर काव्य भी होगा
और
कहानी भी..!
आंसू ही कहेंगे उसे,
जिसे आज-
लोग कह जाते हैं..
आँखों का पानी भी..!!
नया कुछ सृजित हो
निर्मल स्वभाव हो!
जीवन में
सच्चा कोई पड़ाव हो!!
फिर बात बनेगी
हृदय होगा
बिरले सपनों का मानी भी..!
आंसू ही कहेंगे उसे,
जिसे आज-
लोग कह जाते हैं..
आँखों का पानी भी..!!
रुकी रहे कबतक धारा
अब शाश्वत बहाव हो!
सबके प्रति सहिष्णुता
सहज हृदय का भाव हो!!
फिर होंगे हम
सौम्य विनीत
अद्भुत दानी भी..!
आंसू ही कहेंगे उसे,
जिसे आज-
लोग कह जाते हैं..
आँखों का पानी भी..!!
समय की धारा पर
बहती जीवन की नाव हो!
सुख दुःख की आवाजाही को
झेलने का कौतुकपूर्ण चाव हो!!
फिर तो संभव है
अंकित हो जाए
अमिट निशानी भी..!
आंसू ही कहेंगे उसे,
जिसे आज-
लोग कह जाते हैं..
आँखों का पानी भी..!!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअनुपमा,
ReplyDeleteआँखों के पानी की उन्ही बूंदों से सृजन का आरम्भ भी संभव तो है ..
फिर तो संभव है
ReplyDeleteअंकित हो जाए
अमिट निशानी भी..!
आंसू ही कहेंगे उसे,
जिसे आज-
लोग कह जाते हैं..
आँखों का पानी भी..!!...वाह अनु.....हृदय की अन्तरम गहराईयों से निकली भावनाओं के ये अद्भुत तस्वीर दिल छू गयी.....सच ही तो है......पानी की बूंदों का आंसू में बदलने की प्रक्रिया में भावनाएं ही तो अपनी भूमिका निभाती हैं.....एक संवेदनशील मन ही ऐसा लिख सकता है और दूसरा उसे पहचान सकता है....धन्यवाद शेखर भैया....